कुछ तो लोग कहेंगे
कुछ तो लोग कहेंगे
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अब मैं बे - वजह यूं मुस्कुराती नहीं,
किसी के दिल को खामख्वाह फुसलाती नहीं
कभी, वो पल था, जब तारीफों पर शर्माती थी,
पर अब वो दौर है, जब तारीफें मुझे भाती नहीं
मुड़ती हूं आज भी, बस रुकती नहीं हूं,
लोगों की बातों को, अब दिल से लगाती नहीं
लिखती हूं आज भी, हर ज़र्रे को अपने पन्नों में,
बस फर्क इतना है, मैं अब महफिलों में जाती नहीं
ज़िक्र जो हुआ है सरे आम हमारा,
कहना उनसे, मैं किसी से घबराती नहीं
जवाब सबको मिलेगा, बस सबर ज़रूरी है,
पर, मैं अर्द्ध - ज्ञानियों को मुंह लगती नहीं