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Dharmendra Joshi

Children Stories

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Dharmendra Joshi

Children Stories

कृष्ण

कृष्ण

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*स्वरचित कविता*

*शीर्षक- नटखट कान्हा।*


नटखट कान्हा की शैतानी बड़ी

मां यशोदा देख रहीं खड़ी खड़ी।


कान्हा खाएं माखन चोर, चोर

गोपी आए मां पास पहली भौंर।


मां से कान्हा करें मन मानी

मां ने बात सच यह जानी।


मां का प्यारा माखनचोर

कान्हा के सिवा नहीं कोई और।


कान्हा कान्हा करती गाएं

पकड़ पकड़ कर घर में बैठाएं।


कान्हा की मस्ती प्रसिद्ध चहुंओर

 सबके प्यारे माखन चोर।


गोपियों के नाम देखो अनेक

सबसे प्यारी राधा एक।


कान्हा कान्हा मां नित पुकारें

कान्हा चतुर समझें इशारें।


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