ख्वाइश
ख्वाइश
ज़िन्दगी जीने का मज़ा ख़्वाहिशों के बिना देखा है कभी?
कोई हँस के ख़्वाहिशों को पूरा करे तो कोई ज़िन्दगी भर हँसते रहने की ख्वाइश करे,
कोई चाहे प्यार, कोई शोहरत , तो कोई २ वक्त की रोटी,
पूरी जो हुई एक भी तो ख़ुशी उतनी ही!!
ख़्वाहिशों के आसमान में हर कोई पंख फैलाए
कोई अपनी उड़ान में गुम दुनिया भूले, तो कोई अपनी उड़ान से ज़मीन आसमा एक कर जाए,
चाहत की कोई सीमा नहीं होती,
बार बार कोशिश करने पे कोई पहरेदारी नहीं होती!
सोच तुम्हारी है तुम ख़्वाहिशों के साथ जिओगे के उन्हें साथ लेके राख,
समाज तुम्हे ना पंख देगा न कन्धा,
तित्तर-बित्तर करने हर कोई हे यहाँ खड़ा,खुद से ज़्यादा मत करना किसी पे भरोसा,
ये रोज़ सुबह तुम्हे कहता हे तुम्हारा आइना।
फिर भी हर किसीकी पूरी होती हे भला?
जो ख़्वाहिशों के मंज़र में तुम हुए अंध यहाँ,तो द्रोपदी का बिकना तुम्हारे लिए धृतराष्ट्र जैसा,
क्या फर्क पड़ता के तुम महाभारत के अर्जुन थे या कर्ण,
खोया तो हर किसीने अपना स्वाभिभान था।
ख़्वाहिशों की कोई सीमा नहीं होती,
फिर भी भला वो दायरों में सिमित होती हे।
तू रुकना मत, तू थकना मत,
पर हक से ज़्यादा माँगना मत।
ज़िन्दगी जीने का मज़ा ख़्वाहिशों के बिना देखा है कभी?
कोई हँस के ख़्वाहिशों को पूरा करे तो कोई ज़िन्दगी भर हँसते रहने की ख्वाइश करे,
कोई चाहे प्यार, कोई शोहरत , तो कोई २ वक्त की रोटी,
पूरी जो हुई एक भी तो ख़ुशी उतनी ही!!
