खोल दो दरवाजे, हम मिलने आए हैं
खोल दो दरवाजे, हम मिलने आए हैं
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खोल दो दरवाजे, हम मिलने आए हैं,
गमों को भूल खुशी में खिलने आए हैं।
भूल जाएंगे,
भूल जाएंगे वो सारे लम्हे दगा के,
हम तो बस दोस्ती करने आए हैं।
जानते हैं
हां जानते हैं, कि फिर से दगा दोगे
पर क्या करें अकिरा !
गलतियां कर करके दोहराने आए हैं
सही पकड़े हैं, है बेवकूफ हम।
जो सर कुल्हाड़ी पे मारने आए हैं।
