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Rasika Pande

Others

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Rasika Pande

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झांकी

झांकी

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चेहरे पे कितने चेहरे हैं,

क्यूं दिलों पे इतने पहरे हैं।

मुस्काने सभी झुठी हैं,

हर रूह कुछ टूटी है।

कभी डुबती थी दुनिया जिनमें,

वो आंखें आज सूखी हैं ।

लफ्ज़ तो वही है होंठों पे,

पर बोलियां अब रुखी हैं ।

जिंदा तो सब है दुनिया में,

पर जीना आज भी बाकी है।

दिखावे की इस जिंदगी की,

ये तो बस झांकी है।


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