इंसान
इंसान
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हम इंसान एक पहेली हैं
हम कहते है की सब कुछ मुमकिन है ,
लेकिन डरते रहते हैं कि
कुछ करने का दम हम में क्या शामिल है।
कभी लगे कि हमें बस मौका चाहिये ,
पर जब मौका आये तो बस मन की ताकत चाहिए।
न जाने दिल कैसे कहानी बुनते हैं
कि हम भरोसा खुद पे थोड़ा और दिल पे ज़्यादा करते हैं।
जैसे रोका हुआ दरिया बहकर
खुद अपना रस्ता चुनते हैं ,
पहुंचेंगे हम अपने रस्ते पर
झिझक छोड़ के पेश आने पर।
इन हाथों के लकीरों में
खुदा ने कुछ राज़ नहीं छोड़ा है
बल्कि इसमें यह कह है कि
हमारा अनोखापन हमारे ही हाथ में छोड़ा है।
