हिंदुस्तान एक ख़्वाब
हिंदुस्तान एक ख़्वाब
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जाह धर्मों का कोई भेद नहीं,
ना हिंदू ना मुसलमान कोई,
कोई मंदिर के नाम पर लड़ता नहीं,
मसजिदों को कोई गिरता नहीं ,
जहां जम्हूरियत ही प्रधान हो,
तानाशाह का ना कोई निशान हो ,
जाह नास्तिकों के भी बराबर हक़ हो,
जहाँ रहते सब इनसान हो,
हमारे बुजुर्गों ने जो देखा था ,
वह हिंदुस्तान एक ख़्वाब है।
