STORYMIRROR

Drshubh Solanki

Others

3  

Drshubh Solanki

Others

एक बिखरा शख्स

एक बिखरा शख्स

1 min
244

गुजरता हुआ जब कभी,

लम्हा रुक सा गया

एक शख्स दर्द के आगे,

कहीं झुक सा गया।


कल ही तो देखा था,

मोड़ पर मैंने अपनी

आँखों से

शायद रात की

भयंकर बारिश,

में वो बह सा गया।


सोचता हूं कि पूछूं,

उन गहरी निगाहों से

कैसे ज़िन्दगी के इतने

ज़ख्म,

वो सह सा गया।


अब यही पर ख़त्म हमारा,

ये किस्सा होता है

बैठ जाओ मेरे सिराहने,

कहकर वो सो सा गया।।



Rate this content
Log in