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Syed Zaidi

Others

1.0  

Syed Zaidi

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दिल्ली

दिल्ली

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आरज़ू-ए-दिल और दयार-ए-यार है दिल्ली

किसी पाकीज़ा मोहब्बत की यादगार है दिल्ली !


ज़ौक़ ने सिखाई इसे हक़-गोई इसलिये

आज भी हक़ की परस्तार है दिल्ली !


अब इसकी फ़िज़ाओं में उर्दू नज़र नहीं आती

ये गर्दिश-ए-वक़्त देख अश्कबार है दिल्ली !


दामन में हज़ारों ग़म होने के बावजूद

नज़र आती बहुत ख़ुश गवार है दिल्ली !


वो अपनी बेटी की इज़्ज़त बचा नहीं पायी

यूँ ख़ुद से बहुत शर्मसार है दिल्ली !


दाग़, मीर, ग़ालिब से सुख़नवर दिये जिसने

सुख़नवरी का वो तस्नई आबशार है दिल्ली !


वक़्त-ए-तवील से जो मोहब्बतें मिलती रहीं इसको

साये में उनके आज भी सरशार है दिल्ली !


दार-उल-हुकूमत-ए-हिंदुस्तान होने की वजह से

हमारे लिये बाइस-ए-इफ़्तिख़ार है दिल्ली !


तारीख़ जानना है तो चले आओ यहाँ पर

हर सल्तनत-ए-हिंद की निगेहदार है दिल्ली !


ज़मन आज भी अपनी बुलंदियों के सबब

इस जहान में आला मेयार है दिल्ली !


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