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धरती माँ कु दुःख

धरती माँ कु दुःख

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गढ़भूमि क्या बुन्नी च,

मां छौं तुमरी, जै मा पैदा हुयां तुम,

मेरी खुखली मा खेली की बड़ा हुयां तुम,

मैं आश नी छै मेरा लाटो

कि इन कु घड़ी भी आली,

मिथै इखुली विरान छोड़ी देशु भगणा तुम,

अभी भी वक्त चा मेरा लाटो, बौड़ी ऐ जावा,

मां छौ तुमरी मैं, माफ करी दयोलू चम,

देर ना हो, अबेर ना हो,

कखी मेरी आंखा घुधलणी ना हो,

भोल मिन जु पछाण से मना केर याली,

तब ना बुल्या मेरी मां ही बदलीगे,

तब ना बुल्या मेरी मातृभूमि ही बदलीगे,

छुईं ना लगया, रूसया ना मेरा लाटों मेरी मां ही बदलीगे,

क्या कन लाटों सुविधाओं कु दौर अयुं चा,

लोग बुन्ना गढ़वाल बदलीगे।


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