धोखेबाज़ी ..
धोखेबाज़ी ..
जब हम किसी की ना परवाह करते थे
मस्ती ही मस्ती करते थे
वो ही ज़िन्दगी थी यारों
ये सब तो धोखेबाज़ी है..
अब घर से निकलने से पहले पूछो
बच्चों और बुजुर्गों का शेड्यूल
जब सारा वक़्त हमारा था
वो ही ज़िन्दगी थी यारों
ये सब तो धोखेबाज़ी है..
दौड़ रहे कही तो पहुँचना है
कुछ करना है कुछ होना है
कभी हम भी बिना कुछ करे भी वज़ूद रखते थे
हमारी हँसी की गूँज सच में सच्ची थी
वो ही ज़िन्दगी थी यारों
ये सब तो धोखेबाज़ी है..
बिना इन्विटेशन के जब दोस्तों के घर पहुँच जाते थे
फिर सब मिलकर मैगी बना के खाते थे
जब परवाह नहीं थी कि घर कैसा है
या घर पर कौन क्या कहेगा
सच वो ही ज़िन्दगी थी यारों
ये सब तो धोखेबाज़ी है..
खुद में खुद को ढूँढ़ रहे अब
कभी सबके जिक्र में होते थे
अब घर की फ़िक्र है बस यारों
जिंदगी वीरान सी कट रही
सिर्फ़ वो ही ज़िन्दगी थी यारों
ये सब तो धोखेबाज़ी है..
हाल चाल भी पूछने को
फ़ोन है और वीडियो कॉलिंग भी
पर वो बातें कहाँ से लाएँ
जो रोज़ रोज़ करनी होती थी ..
वही बातें ज़िन्दगी थी यारों
ये सब तो धोखेबाज़ी है..
फ़िर भी एक दूसरे की तस्वीरों को
लाइक करके खुश हो जाते हैं
सब के सब बढ़िया ही होंगे
ये सोच खुश हो जाते हैं
हमारी मन की तसल्ली
ये सब तो धोखेबाज़ी है..
वो लड़ाई झगड़े सब अच्छे हैं
और वो गिले शिकवे भी हैं सच्चे
जो दोस्त का कॉल ना आये तो तुम आज भी रुठ जाते हो
तुम्हारा आज भी कुछ ना कहना और तुम्हारे बिना कहे ही हमारा समझ जाना
ये ही ज़िन्दगी है यारों
बाकी सब धोखेबाज़ी है.