दादी माँ
दादी माँ
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२ साल के उमर से,
दादी के साथ रहने लगी थी,
माँ से दूर होके,
उस से ज़्यादा प्यार करने लगी थी।
दादी की हँसी सुन के,
दिल खोल के हँसती थी,
उसके दुख में,
खुद भी रोने लगती थी।
जन्म तो नहीं दिया उसने,
पर माँ से भी ज़्यादा किया है,
शायद इसी लिए ये ज़िन्दगी
उसकी उसूलों के साथ कट रही है।
जब भी याद आए माँ की,
उसकी गोद में सर रख के सो जाती,
और वह अपने आँसू छुपा के ,
मुझे सीने से लगा के मुस्कुरा देती।
वक्त कुछ अच्छा ना था,
और मुझे अपने माँ से दूर रहना पड़ा था,
पर शुक्र गुजार हूं उस वक्त का,
जो मुझे दुनिया में सबसे
अच्छे इंसान से मिला डाला था।
साथ ना हो कर भी ,
उसकी याद हमेशा साथ रहेगी,
वह दूर हो या पास ,
हमेशा इस दिल के करीब रहेगी।
वह मेरे लिए,
कल भी सबसे अच्छी थी
और आज भी सबसे अच्छी है,
उसकी कमी ,
अब भी मुझे दिन रात सताती है।
