बंदर का धंधा
बंदर का धंधा
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हात लगा बंदर के एक दीन
तुटा फुटा आला।
झट बंदर ने पेड के नीचे,
कुर्सी मेज ला डाला।
भालू आकर बोला मुजको,
खासी आणि जुकाम,
बंदर बोला तुलसी पत्ता,
पीपल की जड थम।
पाणी में तुम इन्हें उबालो,
सुबह शाम लेना,
खासी जब छू मंतर हो,
फीस तुभी तूम देना.
चल निकला बंदर का धंधा
अब वह मौज मनाता
अच्छी अच्छी जड़ी बूटियां
जंगल से वह लाता।
