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Vinay malvi

Others

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Vinay malvi

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बहकता जीवन

बहकता जीवन

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आज जीवन कुछ बहकने लगा,

चंद तारीफों से महकने लगा,

मन को लगा जिंदगी तारीफों से बड़ी हो गई,

पर ये मौत को कुछ अच्छा ना लगा।


ये इंसान तारीफों से बहक क्यों जाता है,

ना जाने चंद रिश्तो से महक क्यों जाता है,

मन को लगा शायद यही दुनिया है,

पर मौत ने कहा आ मेरे पास यह बड़े बड़ो की खूबियां हैं।


ये इंसानी जीवन को रिश्तो के प्यार बड़े अच्छे लगते है,

उम्मीदों और जवाबदारियों के पहाड़ बड़े अच्छे लगते है,

मन को लगा शायद यही मेरी रिश्तेदारी है,

पर मौत ने कहा आज तेरे रिश्ते तो कल तेरी बारी है।


ये इंसान क्यों जिंदगी भर रिश्तो की खटास मिटा नहीं पाता,

चंद बातो को लेकर जिंदगी भर इतराता,

मन को लगा शायद कल ये रिश्ते सुधरेंगे,

पर मौत ने कहा देखना ये कल खुद बिखरेंगे।


इंसानों आँखो ही आँखों मे भविष्य के सुनहरे सपने देखता है,

जिंदगी भर ना जाने क्यों इसी भ्रम मे रहता है,

मन को लगा शायद यही जिंदगी का सच है,

पर मौत ने कहा तेरी पूरी जिंदगी झूठ बस एक तेरी मौत ही सच है।



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