बचपन की यादें
बचपन की यादें
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मैं आज भी कभी कभी गुमसुम सा हो जाता हूं ,
इस दौड़ भरी जिंदगी में कहीं खो जाता हूं।
लौट आता हूं अपने बचपन में ,
नम आंखों संग कुछ पल जी लेता हूं।
वो स्कूल में घण्टी बजने से पहले ही
कन्धों पर बस्ता टांग लेना,
दोस्तों के लिए भाई से लड़ जाना !
वो तितलियों को पकड़ना
बहुत याद आता है,
बागों में जाकर लपाचू खेलना,
दोस्तों संग झूला झूलना
पतंग उड़ाना
किसे नहीं भाता है।
परीक्षाओं के बाद ननिहाल जाना,
अब कहां हो पाता है।
दादी-नानी की गोदी में सिर रखकर
कहानी सुनने का अवसर
अब न मिल पाता है ।