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Anju Dwivedi

Others

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Anju Dwivedi

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औरत की अभिलाषा

औरत की अभिलाषा

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चाह नहीं मैं आभूषण से,

लद कर खुद पर इतराऊ

चाह नहीं मैं धन की देवी बन,

सब को ठाठ दिखाऊँ।


चाह नहीं मैं अबला बन कर,

कष्टों पर भी मुस्कुराऊँ।

चाह नहीं कमजोर समझ खुद को,

अपनी नज़रों में गिरती जाऊँ।


चाह नहीं बेचारी बन कर,

हर दुख को सह जाऊँ।

चाह नहीं मर्यादा के नाम पर,

हर दिन ठगी मैं जाऊँ।


मुझे थाम लेना तुम बस 

अर्धागिनी समझ कर,

साथ निभाऊंगी मैं भी तुम्हारा

जीवन संगिनी बन कर...

      

   



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