आप के खातीर
आप के खातीर
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हम लिखना भूल गए
आप के खातिर।
हम सोचना भूल गए
आप के खातिर ।
पहले कैसे जीते थे हम
हम जीना भूल गए आप के खातिर।
तुम अपना बना के छोड़ दिया,
हम को टुकड़ों टुकड़ों में तोड़ दिया।
ना जाने तुम्हें खुश मिल गयी
किसके खातिर ,
हमने तो दुनिया भूला दिया था
आप के खातिर ।।
