आज कल के रिश्ते...
आज कल के रिश्ते...
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आज कल के रिश्ते भी
थोड़े अजीब से होते है ...
कई बार, कोई न होकर भी
पास होने का एहसास होता है ...
और कई बार हमारे पास बैठा इन्सान
मानो मिलो दूर हो लगता है ...
कई बार जैसे किसी
अन्जान सी बेड़ियों में ,
जकड़न सा महसूस होता है ...
तो कभी खुले आकाश को देखते ही
मानो पंख निकल आते है ...
"संध्या" शायद यही जिंदगी है
मानो तो लगने लगता है ...
-संध्या "दिल थी" )