पाप, पुण्य और कर्म, ये फ़साना बहुत हुआ, गंगा में डुबकी का, किस्सा पुराना बहुत हुआ...! पाप, पुण्य और कर्म, ये फ़साना बहुत हुआ, गंगा में डुबकी का, किस्सा पुराना बहुत हुआ...