कभी हँसाती कभी रुलाती
कभी हँसाती कभी रुलाती
सब कुछ ले लो मेरा मुझसे
पर मत छीनो कलम मेरी।
कभी हँसाती कभी रुलाती
दुनिया की यह सैर कराती,
जब भी उदास मैं हो जाती
झटपट उठ कर अंक लगाती।
सब कुछ ले लो मेरा मुझसे
पर मत छीनो कलम मेरी।
बहुत प्यार है इसको मुझसे
दिन भर करती बातें मुझसे,
सुख-दुख की सहेली मेरी
हर पल जुड़ी रहती मुझसे।
सब कुछ ले लो मेरा मुझसे
पर मत छीनो कलम मेरी।
बहुत गहरा रिश्ता है मेरा
मन भी पढ़ लेती है मेरा,
हरदम बने सहारा मेरा
जीवन बंधा संग इसके मेरा।
सब कुछ ले लो मेरा मुझसे
पर मत छीनो कलम मेरी।
माँ जैसी ममता है देती
पिता जैसा संरक्षण देती ,
कभी प्रेमिका बन करके ये
सर्वस्व मुझ पर लूटा देती।
सब कुछ ले लो मेरा मुझसे
पर मत छीनो कलम मेरी।
यूँ तो बहुत है साथी मेरे
दिन भर रहते साथ में मेरे,
परखा करती उनको कलम
जो हैं सच्चे हित चिंतक मेरे।
ले लो मेरा सब कुछ मुझसे
पर मत छीनो कलम मेरी।
जीवन के इस मोड़ पर मेरे
रूठ गए सब रिश्ते मेरे ,
पर न रूठेगी यह मुझसे
साथ अंतिम संध्या तक मेरे।
ले लो मेरा सब कुछ मुझसे
पर मत छीनो कलम मेरी।