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Prabhavna Jain

Abstract

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Prabhavna Jain

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कलम छबीली

कलम छबीली

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कलम छबीली

लेखिका कलम से

तू तो है कलम छबीली

और में नौसिखिया अलबेली

कहने को तो बहुत है साथी

पर शब्द अभी अठकेले हैं।


मन करता है हर बात को भर दूँ

मन में उमड़े सैलाब को घर दूँ

चाहत की हर सांस हंसी है

कहने को हर बात नई है।


मन पंछी तू सांझ है इसकी

दिल धड़के आवाज तू इसकी

लब्ज मेरे तू शान है इनकी।


मेरे ऐहसासों की पहचान सी दिखती

ऐ मेरी प्यारी सी सहेली

तू तो है कलम छबीली

और मैं नौसिखिया अलबेली।


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