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anamika khanna

Abstract

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anamika khanna

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अनकही चिट्ठी

अनकही चिट्ठी

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हर अल्फाज में तू था,

 लिखा बहुत कुछ था,


 दिल चाहा कह दूं तुझे,

 हर शब्द की माला में पिरोया था तुझे,

 

न जाने कितने पन्नों में दफन है,

 तेरी यादों की एक तस्वीर,


 लिखा बहुत कुछ हमने,

 कितनी अनकही सी बातें,


 जो दिल ने लिखा पर बोला नहीं,

 तू एक बंद लिफाफा है जो हमने खोला नहीं,

 

एक पत्र जो लिखा पर भेजा नहीं ! 


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