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अब मैं इसे बोझ कहूँ या वरदान समझ में नहीं आ रहा... अंत में मैं इंसान अब मैं इसे बोझ कहूँ या वरदान समझ में नहीं आ रहा... अंत में मैं इंसान
वक्त ही कुछ ऐसा आया है एक तरफ दोस्तों को दूसरी तरफ मंजिल को खड़ा पाया है वक्त ही कुछ ऐसा आया है एक तरफ दोस्तों को दूसरी तरफ मंजिल को खड़ा पाया है