मुझे जब जब याद आती है, मैं तब तब कलम उठाता हूँ... फिर दोस्ती के प्याले से हो कर, माँ के आँचल मे मैं छुप जाता हूँ...
की वह ऊँगली ही भूल जाओ जिन्हे पकड़ तुमने चलना सीखा था.... की वह ऊँगली ही भूल जाओ जिन्हे पकड़ तुमने चलना सीखा था....