मुसाफ़िर हूँ यारों
ऐसा मेरा अपना मेरा जिगर मेरा ख़ास जो थाम कर क़लम बिख़रे अपने ज़ज़्बात ऐसा मेरा अपना मेरा जिगर मेरा ख़ास जो थाम कर क़लम बिख़रे अपने ज़ज़्बात