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मुट्ठी में रेत सा फिसला जा रहा है, कुछ जल्दी में मालूम होता है ये समय...! मुट्ठी में रेत सा फिसला जा रहा है, कुछ जल्दी में मालूम होता है ये समय...!
झरनों के पानी-सी है, परियों की कहानी-सी है, मेरी कल्पना स्वरूप-सी है, तू मेरे प्रतिरूप-सी है...... झरनों के पानी-सी है, परियों की कहानी-सी है, मेरी कल्पना स्वरूप-सी है, तू मे...