लफ़्ज़ों की कलम है मेरी नज़्मों सी लिखावट है ज़रा ग़ौर कीजिए हमपर मेरी गज़लों में बग़ावत है
मेरे ज़ख्मों पे नमक लगा के वो हँसती रही इस कदर, उन्हें दाल फीकी लगी तो इल्ज़ाम मुझपर आ गया, मेरे ज़ख्मों पे नमक लगा के वो हँसती रही इस कदर, उन्हें दाल फीकी लगी तो इल्ज़ा...
मौला तू है कि अलग-थलग बटकर अपनी दुकान लगाए बैठा है मौला तू है कि अलग-थलग बटकर अपनी दुकान लगाए बैठा है