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अपने रंग ढाल रहा हूं, जो समेट ले मेरी जमीं को सा एक आसमान बुन रहा हूं. अपने रंग ढाल रहा हूं, जो समेट ले मेरी जमीं को सा एक आसमान बुन रहा हूं.
आए उनके दर पर, बुलाया उनको जो दस्तक देकर, यूं आए वो, हो गये रूबरू आए उनके दर पर, बुलाया उनको जो दस्तक देकर, यूं आए वो, हो गये रूबरू