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खुदा की नेमत, कुदरत की फनकार हो तुम लेखन की शैली,रूप का श्रृंगार हो तुम! खुदा की नेमत, कुदरत की फनकार हो तुम लेखन की शैली,रूप का श्रृंगार हो तुम!
बात करने से लेकर बात ना करने तक का हर बहाना याद है। बात करने से लेकर बात ना करने तक का हर बहाना याद है।