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प्राण रख तू नोक पर और रण में शव मैदान कर! प्राण रख तू नोक पर और रण में शव मैदान कर!
जब मनुष्य को क्रोध आता है, कुछ भी समझ नहीं आता है। जब मनुष्य को क्रोध आता है, कुछ भी समझ नहीं आता है।
मुझे खोजा गया दर-दर अपना ताप-संताप मिटा लिया पर। मुझे खोजा गया दर-दर अपना ताप-संताप मिटा लिया पर।