गाँव के निम्न- मध्यमवर्गीय परिवार की पारम्परिक त्रासदियों में पले-बढ़े। जितना किताबों और स्कूलों ने नहीं पढ़ाया उससे ज्यादा समय , समाज और परिस्थितयों ने सिखाया । पत्थरों की बस्ती में रहकर भी दिल को मोम बनाए रखा । हमेशे से दूसरों के दर्द से गमज़दा होता हूँ और गैरों की खुशियों से खुश । लोगों... Read more
गाँव के निम्न- मध्यमवर्गीय परिवार की पारम्परिक त्रासदियों में पले-बढ़े। जितना किताबों और स्कूलों ने नहीं पढ़ाया उससे ज्यादा समय , समाज और परिस्थितयों ने सिखाया । पत्थरों की बस्ती में रहकर भी दिल को मोम बनाए रखा । हमेशे से दूसरों के दर्द से गमज़दा होता हूँ और गैरों की खुशियों से खुश । लोगों की खूबियों को आत्मसात करना और खामियों को नज़रअंदाज करना आदत में शुमार है । इंसानियत को दुनिया का सबसे बड़ा धर्म मानता हूँ और कर्म को पूजा ।
मेरा लेखन मेरे सपनों और हकी़कत का इकबालिया बयान है । Read less