गाँव के निम्न- मध्यमवर्गीय परिवार की पारम्परिक त्रासदियों में पले-बढ़े। जितना किताबों और स्कूलों ने नहीं पढ़ाया उससे ज्यादा समय , समाज और परिस्थितयों ने सिखाया । पत्थरों की बस्ती में रहकर भी दिल को मोम बनाए रखा । हमेशे से दूसरों के दर्द से गमज़दा होता हूँ और गैरों की खुशियों से खुश । लोगों... Read more
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