A teacher, A poet
रोज़ चलता हूँ कदम चंद मैं उन राहों में फिर भी तन्हा हूँ मैं वो राह भी अकेली है गुज़रते वक़्त में... रोज़ चलता हूँ कदम चंद मैं उन राहों में फिर भी तन्हा हूँ मैं वो राह भी अकेली है...
बरगद के टूटे पत्तों ने, जब नई शाख को देखा था कुछ खुश थे कुछ गुस्से में, और कुछ ने कुछ बरगद के टूटे पत्तों ने, जब नई शाख को देखा था कुछ खुश थे कुछ गुस्से में, और क...