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अपने ही अपनों की कश्ती डुबोने लगे हैं। महफ़िल में अब लोग अकेले होने लगे हैं।। अपने ही अपनों की कश्ती डुबोने लगे हैं। महफ़िल में अब लोग अकेले होने लगे हैं।।
बन्द दरवाज़े खिड़कियां सिसकती तो होगी। पड़ोसियों से थोड़ी आस रखतीं तो होंगी। बन्द दरवाज़े खिड़कियां सिसकती तो होगी। पड़ोसियों से थोड़ी आस रखतीं तो होंगी।