फिलहाल.....एक सम्भावना से ज्यादा कुछ नहीं....तब तक कुछ होने/बनने/करने की ....जुगत में।
घर आंगन कितना सुहाता था मन, आज शहरों में एक बालकनी में सिमट रह जाता तन। घर आंगन कितना सुहाता था मन, आज शहरों में एक बालकनी में सिमट रह जाता तन।
गाँव में अम्मा कहती हैं ये लड़कियां बथुआ की तरह होती हैं गाँव में अम्मा कहती हैं ये लड़कियां बथुआ की तरह होती हैं