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निर्मल, कलकल धारा सी वसित उद्धरित ये साहित्य के आत्मा में समाहित निर्मल, कलकल धारा सी वसित उद्धरित ये साहित्य के आत्मा में समाहित
किसी का अभिमान न रहा, न रहेगा, रखे विनम्रता की भावना, वही चलेगा... किसी का अभिमान न रहा, न रहेगा, रखे विनम्रता की भावना, वही चलेगा...