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न कभी एक पक्ष के थे तुम, न दूसरे के हो पाओगे, हम पक्षों में भेद ही नहीं रहेंगे, जब तुम न रह जाओगे...... न कभी एक पक्ष के थे तुम, न दूसरे के हो पाओगे, हम पक्षों में भेद ही नहीं रहेंगे, ...
कोई बाहर का आकर रोज़ मुझे पकड़ता है, ज़मीन पर ज़ोर-ज़ोर से रगड़ता है, कोई बाहर का आकर रोज़ मुझे पकड़ता है, ज़मीन पर ज़ोर-ज़ोर से रगड़ता है,