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यह कविता जीवन की बारीकियों पर आधारित है। यह कविता जीवन की बारीकियों पर आधारित है।
जाते हैं जिम हर सुबह और रात में पब को जाते, हुक्का बार तो मानो फैशन अब कहलाते, पेड़ो से नहीं है इनके... जाते हैं जिम हर सुबह और रात में पब को जाते, हुक्का बार तो मानो फैशन अब कहलाते, प...