Sagar Gadhave
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जगात माणुस म्हणुन जगता आल पाहीजे. . . माणसान स्वछंदी रहाव . . .माणस ओळखायला शिका . .जज करीत बसु नका त्यात तुम्ही फसाल. . .कर्म चांगल ठेवा . . .भविष्यकाळ साथ देईन . .भुतकाळ व भविष्यकाळ यांच्यामधुन वर्तमानकाळ जात असतो।. . .

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सुरुवात मैं सब अपना सा लगता है! फिर पता चलता है य तो मेरा सपना था!!

वो तो GF का बहोत बडा शोकिन था। पता चला वो तो Gold flake का शोकिन निकला।

जो हो गया ऊसे भुलना बडा मुश्किल काम है. तेरे पास आना ये सिर्फ आसान काम है.

तुफ़ान से मत टकराना खुद के लोग बहुत तुफान होते है। जिंदगी छिडक जाती है बाकी की सवरने मै।

ठेच पोहचते जेव्हा लोक म्हणतात तु तसा नव्हता जसा हवा होता. ठेच पोहचते जेव्हा आपली माणस आपल्याविरुद्ध वाईट बोलतात . ठेच पोहचते जेव्हा आपण मनान खुप चांगल असुन गैरसमज पसरव जात असताना. ठेच लागते जेव्हा निष्पाप असुन सुध्दा अपराधी म्हणुन जगाव लागत. . . . जखम भळभळते जेव्हा नव्हतं अपेक्षित अनपेक्षित प्रियजनांकडुन. .

अच्छे लोगो के साथ कभी अच्छा क्यो नही होता। विधी का विधान है अच्छे काम करने वाले लोग बाद मै लोगो के नजर मै बुरे बनते है। धोका देने वाले कभी चैन सै सो नही पाते। बुरा करनेवाले की कभी नियत साफ नही होती। प्यार मै फसाकर धोखा देना कीतना अच्छा है। आखिर अच्छे लोगो के साथ ... बुरा बनना पडेगा जिंदगी जीना है तो। वरना कभी हार जाओगे जींदगी संभल नही पाओगे। कलीयुग है कभी भरोसा नही करना ।

अच्छे लोगो के साथ कभी अच्छा क्यो नही होता। विधी का विधान है अच्छे काम करने वाले लोग बाद मै लोगो के नजर मै बुरे बनते है। धोका देने वाले कभी चैन सै सो नही पाते। बुरा करनेवाले की कभी नियत साफ नही होती। प्यार मै फसाकर धोखा देना कीतना अच्छा है। आखिर अच्छे लोगो के साथ ... बुरा बनना पडेगा जिंदगी जीना है तो। वरना कभी हार जाओगे जींदगी संभल नही पाओगे। कलीयुग है कभी भरोसा नही करना ।

प्यार करके शादी करना है या शादी करके प्यार करना है। पत्नी का लगाव तो है पर मन से सुझाव हे़ै।। हर घर पर भगवान का साया है। अच्छे बुरे का हिशाब है कौन कैसा है।। आखिर कौन कीसका है जो पत्नी पती की नही हो सकी। वो माँ बाप की कैसी हो सकती है।। जिंदगी जीना है तो अपने हिशाब से जिओ। खुद के लोग जिने नही देते औरों की तो बात ही अलग है।।

"धनुष्य " इंद्राचा का बाणाचा?का कुठ भरकटला। प्रेमाच पाखरू कुठ हवेत विस्कटला।। जीवनाच्या वाटेवर परक व्हाव लागल। आपल्याच मानसान सैरभैर करून टाकल।। प्रेमावर चा विश्वास नाही राहीला मनी। घात केला माझा देवाघरी जाता क्षणी।। शेवटी नाही कुणाचे कुणी सगे सोयरे कोणी। जाशिल एकला रे प्राण्या माझे माझे म्हणुणी।।


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