I'm neither 'Bhumihar' nor 'Hindu', I'm just a Universal People, whose Universal Caste is 'Human' and Universal Religion is 'Humanity'
अनकहीं होती है रिश्तों की आंखमिचोली, ज्यादा पास रहने पर बुराई दिखने ही लगती है और सामने वाला ग़टर जैसा बदबू करता है, और जाने पर अच्छाई याद आती हीं है और वही गटर अनमोल लगता और खूबसूरत फूल की तरह खुशबू करता है।
सच्ची मोहब्बत सबसे महंगा नशा है, जो एक बार चढ़ जाए तो मौत फीकी लगे, चेतना जाए पर नशा धड़कते धड़कन की भांति बढ़ती चली जाए
प्यार तो वो है जो ना मिलने पर मिलने से अधिक मुकम्मल लगे, जब आंखों से खून बहे, होंठ सिसकन कि धुन सुनाए, दिल के गहरे समंदर में यादों की सुनामी तूफ़ान लाए। तभी सांसों की माला पे पी का नाम आए, मन मानो ठहरे पानी की तरह शांत हो जाए और आत्मा से उस परमात्मा को एक ही पुकार हो, की वो जहां भी रहे उसे बस मेरी उमर लग जाए।।
Moral values are the roots of Humanity, if you wish to become a Banyan tree, plant a human and feed the soil with the nutrients of Morality.
कितना ख़ास होता है ये दग़ाबाज़ी का दस्तूर, दुश्मनों को ढूंढने कहीं दूर जाना नहीं पड़ता, दोस्ती के मुखोटे में अक्सर बेहद पास हीं मिल जाते हैं वो।
Exploration, Adaptation, then Acceptance, and Accordance Change are the keys of Flexible Survival that comforts you to mingle with any Class, Community, Caste, Culture & Creed.