Amateur Poet
उसी पेड़ के इक पत्ते से मुझ पर एक ओस की बूंद आ गिरी है उसी पेड़ के इक पत्ते से मुझ पर एक ओस की बूंद आ गिरी है
वो छोटा सा होटल अब भी होगा वहीं पर, और वही चाय अब भी मिलती होगी, वो छोटा सा होटल अब भी होगा वहीं पर, और वही चाय अब भी मिलती होगी,