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कभी कांटे भी ज़ख्मो पे मरहम बन जाते हैं। कभी शीतल हवा के झोंके चोट पहुचाते हैं कभी कांटे भी ज़ख्मो पे मरहम बन जाते हैं। कभी शीतल हवा के झोंके चोट पहुचाते हैं
बचपन पर से धूल पोंछ रहा था, ऐ ख़ुदा शुक्र तेरा तूने मेरा बचपन फिर लौटा दिया। बचपन पर से धूल पोंछ रहा था, ऐ ख़ुदा शुक्र तेरा तूने मेरा बचपन फिर लौटा दिय...
कितनी सुन्दर रचना है तेरी, इस जहाँ में सबसे सुंदर बिटिया है मेरी।। कितनी सुन्दर रचना है तेरी, इस जहाँ में सबसे सुंदर बिटिया है मेरी।।