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भाई सच कहती हूँ अगर सताओगे इस बार नहीं बाँधूँगी राखी! भाई सच कहती हूँ अगर सताओगे इस बार नहीं बाँधूँगी राखी!
स्नेह आदर समेट कर तुम्हारा आँचल में नज़रों से तुम्हारी फिर ओझल हो जाती हूँ। स्नेह आदर समेट कर तुम्हारा आँचल में नज़रों से तुम्हारी फिर ओझल हो जाती हूँ।