paramjit kaur
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मेरी कलम ,मेरी संगिनी... जिसने मुझे मेरे जज़्बातों को बयां करने का जज़्बा दिया है...

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ए सूर्य! दिखाओ तेज़ कुछ इस तरह कि शरीर के संक्रमण के साथ, मस्तिष्क में छिपा संक्रमण भी नष्ट हो जाए.. परमजीत कौर

ये कैसा बाज़ार है ? यहाँ सब कुछ बिकता है , पहले लोग सम्मान कमाते थे , मगर आज खरीदते नज़र आते हैं । परमजीत कौर 24.02.2020

दोस्तों के बीच खिलती है ज़िंदगी, बिन कहे जज़्बातों को भी समझ जाती है दोस्ती, दोस्ती एक अहसास है,इसमें हर दोस्त बहुत ख़ास है, इस भागती दौड़ती ज़िंदगी में बहुमूल्य है दोस्ती, जो अकेले में भी चेहरे पर मुस्कान ले आए, वही तो है दोस्ती! परमजीत कौर

इन आंधियों में वह दम नहीं कि मेरे अंदर की आग को बुझा पाएं, मैंने स्वयं को तराशा है तूफ़ानों में, फ़िर कैसे बह जाऊंगी , हालात के इन उफ़ानों में ...! परमजीत कौर

जीवन में कुछ किरदार हम चुनते हैं और कुछ हमें चुनते हैं। निभाओ तो कुछ ऐसे, जो दिल में उतर जाए। क्योंकि जीवन की इस भीड़ में किरदार ही सांस लेता है। वरना भीड़ तो धूआँ है, मटमैला सा...! जिसका कोई किरदार नहीं होता। परमजीत कौर


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