मेरी कलम ,मेरी संगिनी... जिसने मुझे मेरे जज़्बातों को बयां करने का जज़्बा दिया है...
लिखित और वाचन paramjit kaur
द्वारा लिखित अमृता प्रीतम
द्वारा वाचन paramjit kaur