पथिक हूँ पथगामी से सदा सीखता हूँ। मन के भावों को यदा-कदा लिखता हूँ।
शोला अपने आप बने फिर, नन्हीं सी भी चिंगारी। शोला अपने आप बने फिर, नन्हीं सी भी चिंगारी।
अदेखा मानकर जल को शिकारा हाँकने वाला, अदेखा मानकर जल को शिकारा हाँकने वाला,