@asst-pro-nishant-kumar-saxena

Asst. Pro. Nishant Kumar Saxena
Literary Colonel
43
Posts
1
Followers
0
Following

मैं, प्रोफेसर निशान्त कुमार सक्सेना, यूजीसी नेट परीक्षा उत्तीर्ण, एम०बी०ए (ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट) एवं ग्यारह विविध शैक्षिक डिग्री, डिप्लोमा एवं सर्टिफिकेट प्राप्त लेखक हूं। माननीय प्रधानमंत्री जी के सानिध्य में, रक्षा मंत्रालय द्वारा अपने काव्य"नेता सुभाष बलिदानी" हेतु सम्मानित, उत्तर प्रदेश... Read more

Share with friends

भगवान के दो भक्त हैं एक भक्त दिन-रात भक्ति करता है और लोगों से कठोर व्यवहार, अशिष्ट बोलचाल, प्रेम हीन आचरण और किसी प्रकार का सहयोग नहीं करता। दूसरा भक्त कम भक्ति करता है लेकिन पृथ्वी पर सभी प्राणियों को परम पिता की संतान मानकर सबका भला करता है। मदद करता है। उनके प्रति दया और प्रेम का भाव रखता है। क्या लगता है आपको भगवान किससे अधिक खुश होंगे?

आज हम भले ही विभिन्न राजनीतिक पार्टियों में बंट गए हों लेकिन जब हमारा तिरंगा हवा में लहराता है तो हमारे दिलों की धड़कनें बढ़ जाती हैं। जब सीमा पर कोई जवान शहीद होता है तो आंखें भर आती हैं। जब बात भगत सिंह, आजाद और बिस्मिल की होती है तो लहू उफान मारता है। ऐसा क्यों है सिर्फ इसलिए क्योंकि हम सब किसी दल के बाद में है पहले कट्टर देशभक्त हैं। यह एहसास बहुत कीमती हैं दोस्तों !

हे प्रभु धर्म दान और पुण्य बहुत है मेरे देश में फिर भी गरीबी, दरिद्र्य, धन का अभाव ये सब बहुत सहा है मेरे देश ने । यहां पैदा होने वाले नब्बे प्रतिशत बच्चों को ये तीनों चीजें उपहार में मिलती हैं। कृष्ण की तरह तीन मुट्ठी चावलों के जैसे इन्हें ऐसा चबाना चाहता हूं। कि दोबारा ये तीनों मेरे मुल्क में सदियों तक कदम रखने की हिमाकत ना कर सकें।

जब कोई व्यक्ति प्रगति के पथ पर आगे बढ़ता है तो सबसे पहले, उपहास करने वाले, बाधा पहुंचाने वाले, ईर्ष्या करने वाले और किसी भी प्रकार की सहायता ना करने वाले लोग अपने ही होते हैं। स्वामी विवेकानंद इसका जीता जागता उदाहरण हैं।

किसी दल, संस्था या नेता के प्रति वफादार होना गलत नहीं है। लेकिन महसूस करो तुम वहां बोलने के लिए कितने स्वतंत्र हो। क्या वहां तुम्हें अधिकार और विकास की मांग उठाने की इजाजत है। तुम्हारी वाणी का वहां क्या महत्व है? या वाणी पर पहरा है। अगर ऐसा है तो आजाद भारत में तुम आज भी गुलाम हो। खड़े हो। गुलामी की हर विचारधारा से मुंह मोड़ो। अपने अधिकार के लिए आवाज उठाओ। -निशान्त कुमार सक्सेना


Feed

Library

Write

Notification
Profile