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कभी उसके दुःख पर खुश, कभी अपने एहसान भूलता रहा हूँ कभी उसके दुःख पर खुश, कभी अपने एहसान भूलता रहा हूँ
एक नयी कभी पुरानी सी, ढूंढता रहा हूँ उस तलाश को, पाके उसे खुश था पल दो पल , फिर आँखो एक नयी कभी पुरानी सी, ढूंढता रहा हूँ उस तलाश को, पाके उसे खुश था पल दो पल ...
मैं था तो नहीं आवाज़, फिर भी कहता सुनता रहा हूँ, कभी सन्नाटे की फुसफुसाहट, कभी शोर म मैं था तो नहीं आवाज़, फिर भी कहता सुनता रहा हूँ, कभी सन्नाटे की फुसफुसाहट, ...