मेहनत का नाम नियति
मेहनत का नाम नियति
नियति आगे पढ़ना चाहती या बाहर घूमने जाना चाहती या अपना पसंदीदा काम करना चाहती, तब नियति के पापा की ज़ुबान पर एक ही बात रहती -
"पता है ना अपने घर की परिस्थिति !"
नियति छोटी थी इस वजह से समझाकर चुप करा दिया जाता और नियति कुछ बोल न पाती और चुप रह जाती।
पर जैसे - जैसे नियति बड़ी होती गई, वह समझती गई कि पापा के आलसीपन, डर डरकर जीने के कारण व मुसीबत का डटकर सामना न कर पाने की वजह से उसे परिस्थिति की दुहाई दी जाती थी और भावुक बनाकर कुछ न करने न दिया।
सब समझने के बाद नियति ने अपने पापा के सामने सवाल उठाए|
नियति घर की परिस्थिति को अच्छा बनाने का रास्ता दिखाती गई, साथ ही सवाल उठाने पर और घर की परिस्थिति को अच्छा बनाने की राह दिखलाने पर, नियति के पापा में बदलाव आता गया और धीरे - धीरे घर की स्थिति मे सुधार आता गया और सब ठीक होता गया।