लिखे लेख मिथ्या नही होते
लिखे लेख मिथ्या नही होते
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एक पुष्पक नाम का राज्य था। वहा का राजा बड़ा प्रक्रमी था।उसके चर्चे बहुत होते है।उसकी युद्ध कला और शौर्य की।वो महा पराक्रमी राजा था।राजा का नाम देवदूत था।
देवदूत के रानी गर्भवती हुई। कुछ महीनो के बाद रानी ने एक सुंदर राजकुमारी जन्म दिया। जब राजकुमारी का नाम कारण हुआ तब वह से एक वजैंता वहा से निकली जो सब के भावी लिखती है।राजा ने अभिमान से पूछा के हे" वजैनता कहा से आ रही हो और किसका भावी लिखा है?" वजैता ने जवाब दिया के "आपकी बेटी का ब्याह आपके राज में रहने वाले एक सफाई कामदार के घर होगा।" इस बात से राजा को बहुत गुस्सा आया और उसने कहा के में तेरा लिखा मिथ्या कर दूंगा। वजैता ने कहा मेरा लिखा कभी मिथ्या(झूठा) नहीं हो सक्ता।
राजा ने उस सफाई कामदार के बेटे को राज में हजार करने को बोला और जब वो बच्चा दरबार में लाया गया तो सब लोग चकित हो गए क्योंकि वो एक राजकुमार की तरह तेजस्वी और सुंदर था। लेकिन राजा ने ये ना सोचते उसने उसके सैनिकों को आदेश दिया की "इस बच्चे को मारके उसके दही हाथ की उंगली और उसकी दोनो आंखे पेश की जाए।"
सैनिक उस बच्चे को लेकर जंगल में गए और वहा उसे मरने ही वाले थे पर उसमे एक सैनिक को खयाल आया की इस सुंदर बच्चे को मारके हमे क्या मिलेगा? तो दूसरे सैनिकों ने बोला की तो क्या करे राजा को उसकी उंगली और आंखे जो देनी है। तब उस सैनिक ने बताया की बच्चे की उंगली काटने से वो मर नही जायेगा। और हम आंखे तो वो मरे हुए बकरे की निकाल लेंगे राजा को पता भी नही चलेगा। और बच्चे को टोपली में डाले नदी में तैरने रख देंगे।तो सब वो बात मान गए। अब उन्हों ने बचे की एक उंगली काट दी और एक टोपलि में रखा कर नदी में बहा दिया। और राजा को उंगली और आंखे दिखाई तो राजा ने उसे अपने पैरो तले कुचल दिया ।
बच्चा तेरते तैरते एक नगर के किनारे पोहंचा।वहा कुछ सैनिक खड़े थे ।उन्हों ने उस नगर राजा को बताया। राजा ने उस बच्चे को गोद लिया क्योंकि राजा को कोई बच्चा नहीं था।बच्चा इतना तेजस्वी और ऐसा सुंदर था की राजा का प्रिय हो गया।राजा ने उसे अच्छी शिक्षा दी और सब में कुशल बनाया।
राजकुमार एक महान योद्धा बना।राजकुमार के चर्चे आसपास के नगरों में होने लगे। वो चर्चे राजा देवदूत ने बि सुने। राजा ने उसे अपनी बेटी का प्रस्ताव भेजा ।राजकुमार के मां और पिता ने उसका स्वीकार किया।राजकुमार और राजकुमारी का ब्याह धूमधाम से हुआ।
राजा देवदूत ने कन्यादान किया और मन ही मन खुश हुआ के मेने वजैंत का लिखा मिथ्या कर दिया। तभी वहा वजैता आई तो राजा ने फिर अभिमान से बोला के "देख मैंने तेरे लिखा को मिथ्या कर दिया। वजैता हंसने लगी और वो बोली की "हे राजन तुम तब भी अभिमान में थे और आज भी अभिमान में हो। और में कल भी कायम थी और आज भी।देखलो अपने जमाई को। उसकी दाहिने हाथ की उंगली कटी हुई है।"
राजा के होश उड़ गए उसने सब जांच की तो उसे हकीकत वाकिफ हुई।राजा मान गया कि इंसान चाहे कितना भी ताकतवर हो या पैसे वाला वो जानके भी अपना भविष्य बदल नहीं सकता। होनी तो होकर ही रहती है चाहे हम जो भी करलें।